
हरियाणा के नूंह जिले में इंटरनेट सेवा फिर हो गई है “ऑफलाइन”। रविवार रात 9 बजे से सोमवार रात 9 बजे तक जिले में इंटरनेट और बल्क SMS सेवाएं सरकारी आदेश पर ठप कर दी गई हैं। वजह? वही पुरानी — ब्रज मंडल जलाभिषेक यात्रा, जिससे दो साल पहले सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी।
बवाल स्टार्टअप! ना बड़े ऑफिस की ज़रूरत, ना करोड़ों की लागत
अब सरकार कहती है, “इस बार हम सतर्क हैं।”
और जनता कहती है — “नेट नहीं है भाई, सतर्कता तो खुद ही बढ़ गई है!”
क्या-क्या बंद है?
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इंटरनेट (मोबाइल डेटा, ब्रॉडबैंड – दोनों)
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व्हाट्सऐप, फेसबुक, ट्विटर (मतलब अब अफवाहें गली के चायवाले से ही मिलेंगी)
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बल्क SMS सेवाएं (किसी को OTP भेजना है? भूल जाइए…)
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मीट की दुकानें (क्योंकि मटन से माहौल ज्यादा बिगड़ता है?)
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पेट्रोल खुले बर्तनों में बेचना (शायद दंगे नहीं, DIY पेट्रोल बम से डर है)
कितनी सुरक्षा?
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2500 पुलिसकर्मी तैनात
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सोशल मीडिया निगरानी टीम एक्टिव
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खास अफवाहबाज़ों की डिजिटल चौकीदारी चालू
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स्कूलों की छुट्टी (बच्चों को भी Net की लत ना लगे)
बिट्टू बजरंगी को ‘डिजिटल वनवास’
गौ रक्षक बिट्टू बजरंगी को इस बार यात्रा में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई। उनके सोशल मीडिया अकाउंट भी सस्पेंड कर दिए गए हैं — ताकि “Bajrangi Bhaijaan” ना बने “Trending Troublemaker”।
क्या चालू है?
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बैंकिंग सेवाएं (UPI तो भगवान भरोसे नहीं, सरकार भरोसे चलेगा)
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मोबाइल रिचार्ज (क्योंकि डाटा भले बंद हो, बैलेंस दिखाना जरूरी है)
सरकार का कहना – “डिजिटल शांति सबसे ऊपर”
हरियाणा गृह विभाग के अनुसार, यह कदम अफवाहों को रोकने के लिए ज़रूरी है। पिछले अनुभवों से सीखा है कि कुछ लोग सोशल मीडिया को “शांति भंग App” समझते हैं। इसलिए इस बार डिजिटल दरवाजे पहले ही बंद कर दिए गए हैं।
पब्लिक रिएक्शन – “नेट चला जाता है, लेकिन उम्मीद नहीं!”
एक स्थानीय निवासी ने कहा, “हर बार यात्रा के नाम पर इंटरनेट कट जाता है, लगता है नेट की बलि से ही यात्रा की पूर्णता होती है!”
एक छात्र ने कहा, “इंटरनेट बंद, लेकिन क्लास चल रही है — इससे बड़ा अन्याय क्या होगा?”
सरकार की कोशिशें सराहनीय हैं, लेकिन सवाल यह भी उठता है —
“क्या इंटरनेट बंद करना ही समाधान है या असली मुद्दों पर बात करना जरूरी है?”